Sunday 10 October 2010

पोर्टब्लेयर में विश्व डाक दिवस का डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा उदघाटन

भारतीय डाक विभाग द्वारा विश्व डाक दिवस प्रधान डाकघर पोर्टब्लेयर में मनाया गया और इस दौरान राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन 9 अक्टूबर-15 अक्टूबर के दौरान किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि 9 अक्टूबर 1874 को ‘‘जनरल पोस्टल यूनियन‘‘ (वर्तमान में यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन या विश्व डाक संघ) के गठन हेतु बर्न, स्विटजरलैण्ड में 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया था, इसी कारण 9 अक्टूबर को कालान्तर में ‘‘विश्व डाक दिवस‘‘ के रूप में मनाना आरम्भ किया गया। यह संधि 1 जुलाई 1875 को अस्तित्व में आयी, जिसके तहत विभिन्न देशों के मध्य डाक का आदान-प्रदान करने संबंधी रेगुलेसन्स शामिल थे। कालान्तर में 1 अप्रैल 1879 को जनरल पोस्टल यूनियन का नाम परिवर्तित कर यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन कर दिया गया। यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो कि 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। जनसंख्या और अन्तर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर उस समय सदस्य राष्ट्रों की 6 श्रेणियां थीं और भारत आरम्भ से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा। 1947 में यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट एजेंसी बन गई। श्री कृष्ण कुमार यादव ने इस रोचक तथ्य की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया कि विश्व डाक संघ के गठन से पूर्व दुनिया में एक मात्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन रेड क्रास सोसाइटी (1870) था।

इस अवसर पर प्रीमियम सेवाओं से संबंधित कारपोरेट कस्टमर मीट/बिजनेस मीट का आयोजन हुआ । विभिन्न प्रीमियम सेवाओं मसलन- स्पीड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल पोस्ट, बिजनेस पोस्ट, बिल मेल सर्विस, डायरेक्ट पोस्ट, मीडिया पोस्ट, ई-पोस्ट, ई-पेमेण्ट, लाजिस्टिक पोस्ट, फ्री पोस्ट और इलेक्ट्रानिक इंटीमेशन आॅफ डिलीवरी इत्यादि के संबंध में जानकरी दी गई। डाक सेवा निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि व्यवसायिकता के इस दौर में बिना स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के कोई भी संगठन उन्नति नहीं कर सकता और डाक विभाग भी इस क्षेत्र में तमाम नये कदम उठा रहा है। डाक विभाग जहाँ नित् नई सेवायें लागू कर रहा है, विभाग ने अपनी परम्परागत छवि को प्रतिस्पर्धा के तहत कारपोरेट इमेज में तब्दील किया है। घर-घर जाकर डाकियों द्वारा डाक का एकत्रीकरण, वन इण्डिया-वन रेट के तहत स्पीड पोस्ट सेवा दरों में कमीं, इन्स्टेन्ट मनी आर्डर, सभी बचत सेवाओं हेतु फाइनेन्स मार्ट, विभिन्न कम्पनियों के म्युचुअल फण्ड व बीमा उत्पादों की बिक्री, कम्प्यूटराइजेशन व प्रोजेक्ट एरो के तहत डाकघरों का आधुनिकीकरण व नवीनतम टेक्नोलाजी का प्रयोग जैसे तमाम कदमों ने डाकघरों का चेहरा बदल डाला है। श्री यादव ने कहा कि एक तरफ विभिन्न कारपोरेट एवं सरकारी व अद्र्व सरकारी विभागों की आवश्यकतानुसार तमाम सेवायें आरम्भ की गई हैं, वहीं बुक नाउ-पे लेटर, बल्क मेल पर छूट, फ्री पिकअप जैसी स्कीमों के तहत डाक सेवाओं को और आकर्षक बनाया गया है। श्री यादव ने कहा कि नेटवर्क की दृष्टि से डाकघर बचत बैंक देश का सबसे बड़ा रीटेल बैंक (लगभग 1.5 लाख शाखाओं, खातों और वार्षिक जमा-राशि का संचालन, 31 मार्च 2007 को कुल जमा राशि-3,515,477.2 मिलियन रूपये) है। यह अनुमान लगाया गया था कि वर्ष 2001 में डाकघर में बचत की कुल राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 7 प्रतिशत बनती है। (विश्व बैंक अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट, अगस्त, 2002)। 172 मिलियन से अधिक खाताधारकों के ग्राहक आधार और 1,54,000 शाखाओं के नेटवर्क के साथ डाकघर बचत बैंक देश के सभी बैंकों की कुल संख्या के दोगुने के बराबर है।

श्री यादव ने कहा कि डाक विभाग अपने ग्राहकों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए लोगों से संवाद कायम करना बेहद जरूरी है। इस परिप्रेक्ष्य में प्रोजेक्ट एरो के तहत जहां विभाग ने कोर सेक्टर पर ध्यान दिया है वहीं स्टाफ को ग्राहकों से अच्छे व्यवहार हेतु भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अवसर पर उन संस्थानों के प्रतिनिधियों का भी सम्मान किया गया, जो कि डाक विभाग को लाखों में व्यवसाय देते हैं। इनमें एक्सीस बैंक के हेड श्री प्रकाश कुमार, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के निदेशक श्री एस0 सौनन्द, भारतीय स्टेट बैंक के चीफ मैनेजर श्री देबदास चट्टोपाध्याय और वेतन एवं लेखा कार्यलय के निदेशक श्री एन0एम0 पिल्लै शामिल हैं

इस अवसर पर उपस्थित जनों का स्वागत श्री एम0 गणपति, पोस्टमास्टर, प्रधान डाकघर, पोर्टब्लेयर ने किया तथा श्री रंजीत कुमार आदक, आभार-ज्ञापन सहायक अधीक्षक (मुख्यालय), द्वारा किया गया।

(साभार : द्वीप समाचार, 10 अक्तूबर, 2010)